आमतौर पर लोग शमी के फायदे के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं। विजयदशमी के दिन शमी के वृक्ष की पूजा की जाती है। हवन के द्रवों में शमी की लकड़ी का भी प्रयोग किया जाता है शमी एक औषधि है। इसका इस्तेमाल बीमारियों की रोकथाम के लिए किया जाता है।इसके साथ-साथ रक्तपित्त ,पेट की गड़बड़ी ,खांसी ,बवासीर , सांसो की बीमारियों में शमी से लाभ मिलता है।
शमी क्या है
इसके वृक्ष में कांटे होते हैं। इसकी शाखाएं पतली झुकी हुई भूरे रंग की होती है। शमी का वृक्ष 9 से 18 मीटर ऊंचा माध्याकार और हमेशा हरा रहता है। इसकी छाल भूरे रंग की फटी हुई तथा खुरदरी होती है।
शमी के औषधि गुण
शमी के औषधि गुण प्रयोग की मात्रा एवं विधि
- दस्त में शमी के सेवन से फायदा बराबर मात्रा में शमी के कोमल पत्ते तथा मरिच से बने पेस्ट का सेवन करें. इससे दस्त में लाभ मिलता है.
- बराबर मात्रा में अरलू, तिंदुक, अनार, कुटज, तथा शमी की छाल का चूर्ण 1 से 4 ग्राम ले इन्हें ताजा गुनगुना जल या मधु के साथ सेवन करें इससे पेट के रोग जैसे दस्त पर रोक लगती है।
बवासीर में शमी के फायदे
बवासीर के मस्सों पर अभ्यंग के बाद अर्रकमुल तथा शमी की पत्तियों के धूप से धुपन करें इससे लाभ मिलता है।
सांप के काटने पर शमी का प्रयोग
शमी की छाल में बराबर मात्रा में नीम तथा बरगद की छाल मिलाकर पीस लें इससे सांप के काटने से होने वाले दुष्प्रभाव में लाभ होता हैं।
बिच्छू के डंक मारने पर शमी का उपयोग
शमी के तने की छाल को पीसकर बिच्छू के डंक मारने वाले दंत स्थान पर लगाएं। इससे बहुत जल्द लाभ प्राप्त होता है और सूजन व पीड़ा भी दूर हो जाती है।
रोम विकार में शमी के उपयोग
केला तथा सोना पाठा की भस्म में हर-ताल नमक तथा शमी के बीज मिला ले। उसे उसे शीतल जल से पीसकर लेप करने से रोम छिद्र विकारों में लाभ होता है।
समी के उपयोगी भाग
- तने तने की छाल
- फली
- पत्ते
शमी का इस्तेमाल कैसे करें
- रस = 15 से 20 ml
- चूर्ण = 1 से 3 ml
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही उपरोक्त बताई गई मात्रा का प्रयोग करें।
समी से नुकसान
शमी के क्षार को हरताल के साथ लगाने से बाल झाड़ जाते हैं, इसलिए इससे केशहंत्री भी कहते हैं।
समी कहां पाया या उगाया जाता है
शमी पूरे भारत में गुजरात ,पंजाब ,दिल्ली ,राजस्थान ,बिहार एवं उत्तर प्रदेश में प्राप्त होता है।