दोस्तों बहुत कम ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिसमें स्वाभाविक रूप से विटामिन डी पाया जाता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को विटामिन डी की आपूर्ति करना थोड़ा मुश्किल होता है।
गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी :
दोस्तों हम आपको बता दें कि विटामिन डी मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- विटामिन d2 व विटामिन d3। विटामिन d3 का मुख्य स्रोत सूर्य की किरणें होती हैं और जब सूर्य की किरणें आपकी त्वचा पर पड़ती है तो आपकी तो त्वचा विटामिन d3 का निर्माण करने लगती हैं।
जबकि विटामिन d2 की बात की जाए तो यह विटामिन हमें वनस्पतियों से प्राप्त होता है।
विटामिन डी की कमी से गर्भवती स्त्रियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव :
- उच्च रक्तचाप और घबराहट
- डायबिटीज या मधुमेह
- इम्यून सिस्टम का कमजोर पड़ जाना
- स्किन रोग होना
- हड्डियां कमजोर हो जाना
- थकान व चक्कर आना
- किसी काम में मन ना लगना आदि।
गर्भवती को विटामिन डी की कितनी मात्रा है जरूरी ?
एक रिसर्च के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 1 दिन में 6000iu विटामिन डी की आवश्यकता होती है। गर्भवती महिला के शरीर में विटामिन डी का स्तर भ्रूण की हड्डी फेफड़ों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है।
विटामिन डी की कमी से शिशु को होने वाले नुकसान :
- जन्म के वक्त शिशु का वजन का होना
- भ्रूण की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना
- भ्रूण का समय से पहले जन्म लेना
- नवजात शिशुओं में स्केलेटल विकास संबंधी परेशानी आदि।
गर्भवती महिलाओं के लिए विटामिन डी क्यों है जरूरी ?
यदि गर्भवती महिला के शरीर में विटामिन डी की मात्रा बहुत कम हो तो इसका सीधा असर बच्चे पर भी पड़ता है। इससे बच्चे को रिकेट्स जैसी बीमारी का खतरा बन जाता है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए महिला को कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन डी की आवश्यकता भी होती है।
कैल्शियम के साथ विटामिन d3 क्यों लेना आवश्यक है ?
डॉक्टर अक्सर कैल्शियम के साथ विटामिन d3 की खुराक लेने की सलाह देते हैं। विटामिन डी 3 की अभाव में कैल्शियम हमारे शरीर में अवशोषित नहीं होता है। इसलिए अधिकांश कैल्शियम की टेबलेट के साथ विटामिन d3 की कुछ मात्रा उसमें मिला दी जाती है।
विटामिन डी के स्रोत क्या है ?
विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य की किरणें होती हैं। परंतु सुबह की सूर्य की किरणें विटामिन d3 के संश्लेषण के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
इसके अलावा विटामिन डी को हम कुछ खाद्य पदार्थ जैसे सालमन मछली, अंडे की जर्दी, बादाम, दूध और मक्खन से भी प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
विटामिन डी की डेफिशियेंसी में हमें बिल्कुल नहीं घबराना चाहिए। कमजोरी थकान चक्कर आना जैसे लक्षण दिखाई देने पर हमें डॉक्टर की सलाह से दवाइयों का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही साथ अपने खानपान में विटामिन डी से भरपूर पदार्थों को शामिल करना चाहिए।
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