क्या है डायबिटीज (मधुमेह) ?
दोस्तो डायबिटीज (मधुमेह) एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज करने से पहले इसको समझना बहुत आवश्यक है।
यह बीमारी हमारे शरीर की पाचन क्रिया से जुड़ी हुई बीमारी है। आइए समझते हैं विस्तार पूर्वक-
- भोजन में जो भी शर्करा होती है वह ग्लूकोज के रूप में रक्त में प्रवेश करती है। रक्त ग्लूकोज को उन स्थानों पर लेकर जाता है जहां पर या तो इसका उपयोग हो (जैसे-मांसपेशियां) या इसे संग्रहित किया जाए (जैसे-यकृत में)।
- मांसपेशियों द्वारा ग्लूकोस की अधिकांश मात्रा अवशोषित कर ली जाती है और इसे ऊर्जा में रूपांतरित कर दिया जाता है। परंतु इस पूरी प्रक्रिया हेतु एक खास हार्मोन की आवश्यकता पड़ती है जिसे इंसुलिन कहा जाता है।
- इंसुलिन के बिना ग्लूकोज कभी भी कोशिकाओं के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता है। यदि शरीर में इंसुलिन की कमी है तो रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने लगेगा। इस अवस्था को डायबिटीज या मधुमेह कहा जाता है।
जानिए इंसुलिन क्या है?
इंसुलिन अग्नाशय की बीटा कोशिकाओं में बनने वाला एक खास किस्म का हार्मोन है, जो ग्लूकोज के पाचन में अहम भूमिका अदा करता है। आइए जानतेे हैं कि डायबिटीज की जांच कैसे की जाती है-
डायबिटीज की जांच कैसे की जाती है?
डायबिटीज की जांच डॉक्टर एक विशेष उपकरण की सहायता से करता है जिसका नाम है Glucometer. इस उपकरण की सहायता से डॉ आपकी अंगुली पर एक सुई चुभोता है और रक्त की कुछ बूंदे स्लाइड पर इकट्ठा करता है। फिर इसे ग्लूकोमीटर पर टेस्टिंग के लिए लगाया जाता है। ग्लूकोमीटर आपके रक्त में मौजूद शर्करा की वर्तमान मात्रा को डिजिटल रूप में डिस्प्ले करता है।
टाइप-1 डायबिटीज :
कई बार जब किसी रोग विशेष की वजह से, या शरीर स्वयं ही इन बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देता है तो शरीर में इंसुलिन की कमी होने लगती है। इंसुलिन की कमी से रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है इस प्रकार की अवस्था को टाइप 1 डायबिटीज कहा जाता है।
टाइप-2 डायबिटीज :
यदि व्यक्ति की उम्र 30 वर्ष से अधिक हो और शरीर का वजन भी बढ़ा हुआ हो, तो शरीर में इंसुलिन होते हुए भी शरीर इसका उपयोग नहीं कर पाता है।
शरीर की इस अवस्था को इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है। इंसुलिन प्रतिरोध के कारण पैदा हुई डायबिटीज की समस्या को टाइप 2 डायबिटीज कहा जाता है।
डायबिटीज का उपचार कैसे करें?
टाइप-1 डायबिटीज का उपचार-
टाइप वन डायबिटीज के मरीज को आजीवन इंसुलिन लेना पड़ता है क्योंकि अग्नाशय की बीटा कोशिकाएं नष्ट हो चुकी होती है।
मरीज को अपनी जीवन शैली और खानपान में भी सुधार करना परम आवश्यक होता है। मरीज को सदैव साधारण शर्करा अर्थात चीनी की जगह जटिल शर्करा जैसे सुक्रोज आदि का प्रयोग करना चाहिए।
टाइप-2 डायबिटीज का उपचार-
टाइप 2 डायबिटीज के मरीज को शुरुआती चरणों में केवल भोजन और जीवन-शैली में परिवर्तन करके स्वस्थ बनाया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को इंसुलिन की आवश्यकता या तो बहुत दिनों बाद पड़ती है या नहीं पड़ती है।
डायबिटीज से जुड़े मिथक :
- कड़वी चीजें खाने से डायबिटीज समाप्त हो जाती है,
- कार्बोहाइड्रेट को पूरी तरह छोड़ना पड़ेगा,
- उच्च प्रोटीन आहार लेना चाहिए,
- चीनी जीवन में कभी नहीं खा सकते,
- हर हाल में इंसुलिन इंजेक्शन लेना ही पड़ेगा,
- डायबिटीज के मरीज की यौन क्षमता समाप्त हो जाती है,
- डायबिटीज में हर प्रकार के फल खा सकते हैं इत्यादि।
डायबिटीज का आयुर्वेदिक इलाज :
डॉक्टर विद्या बीएमएस गुजरात के अनुसार पारंपरिक औषधीय रक्त शर्करा को कम करने के लिए बेहतरीन और सुरक्षित विकल्प हो सकती हैं।आयुर्वेद में मधुमेह के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली विभिन्न औषधियां निम्नलिखित हैं-
आंवला-
आंवला विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है अतः यह मधुमेह के इलाज और नियंत्रण में मददगार साबित होता है। आंवले में क्रोमियम भी पाया जाता है जो इंसुलिन के प्रबंधन में मददगार साबित होता है और रक्त शर्कराा भी नियंत्रित होती है।
करेला-
करेला अग्नाशय की बीटा कोशिकाओं के कार्य में सुधार लाता है जिससे इंसुलिन के स्त्राव में वृद्धि होती है।
काला जामुन-
काले जामुन का फल और बीज दोनों ही मधुमेह के रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।यह इंसुलिन के स्त्राव को उत्तेजित करता है और इसके बीज का अर्क मधुमेह रोगियों में घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करता है।
मेथी-
मेथी के बीज में उपस्थित अमीनो अम्ल ग्लूकोज के स्तर में वृद्धि एक कारण होने वाले इंसुलिन स्त्राव को बढ़ाता है।
गुड़मार-
इस औषधि के पत्ते अग्नाशय को उत्तेजित करके इंसुलिन के स्त्राव को बढ़ाते हैं।इसके साथ यह रक्त में ग्लूकोज अवशोषण को भी धीमा करता है जो शर्करा को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
निष्कर्ष :
यदि आप भी मधुमेह से ग्रस्त हैं तो उसके अनेक कारण हो सकते हैं जैसे कि सही खान-पान का ना होना, उचित व्यायाम न करना, तनाव ग्रस्त जीवन जीना व आधुनिक जीवन-शैली इस समस्या को कई गुना बढ़ा देती है।
डायबिटीज से छुटकारा पाने हेतु आपको इलाज के साथ-साथ अपने जीवन शैली में भी सुधार लाना होगा तभी आप जल्द से जल्द स्वस्थ हो पाएंगे।
डायबिटीज से पूर्ण से मुक्ति पाने के लिए अपनी जीवन शैली में योग,ध्यान, प्राणायाम को अवश्य शामिल करना मील का पत्थर साबित हो सकता है।
नियमित योग ध्यान व प्राणायाम करने से ना केवल आपको हमेशा के लिए ना केवल डायबिटीज से छुटकारा मिल सकता है बल्कि चिंता,तनाव,अवसाद आदि से भी शर्तिया छुटकारा मिल जाएगा। इस प्रकार आप पाएंगे कि आपके स्वास्थ्य में अविश्वसनीय सुधार तो आ ही रहा है साथ ही साथ आपकी कार्यक्षमता में भी वृद्धि हो रही है।
डायबिटीज के इलाज को पूरा करें व अपने चिकित्सक द्वारा बताई गई दवा का ही प्रयोग करें। कोई भी दवा बिना चिकित्सक की सलाह के ना प्रारंभ करें। चिकित्सक के परामर्श से आप इलाज के दौरान आयुर्वेदिक औषधियां भी ले सकते हैं।
Disclaimer: इस लेख में दी गयी समस्त जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है , हम किसी भी तथ्य के पूर्णतः सत्य या मिथ्या होने का दावा नहीं करते। दी गयी जानकारी का स्त्रोत विभिन्न पुस्तकें, स्वास्थ्य-सलाहकार व कुछ व्यक्तियों के अनुभव हैं, पाठक कृपया स्व-विवेक से काम लें , धन्यवाद।